Monday, April 29, 2019

हिन्दी व्याकरण- श्चुत्व व ष्टुत्व सन्धि

श्चुत्व सन्धि- स्तोः श्चुना श्चुः
नियम-
          यदि स् त् थ् द् ध् न्   के बाद श् च् छ् ज् झ् ञ् आये तो क्रमशः निम्न परिवर्तन हो जाता है-
                      स्  को  श्
                      त्  को  च्
                      थ्  को  छ्
                       द्  को  ज्
                       ध्  को  झ्
                       न्  को  ञ्
उदाहरण-
रामस् + चिनोति  = रामश्चिनोति
सत् + चित्  = सच्चित्
सद् + जनः  = सज्जनः
शार्गिंन् + जयः = शार्गिंंञ्जयः

ष्टुत्व सन्धि- ष्टुना ष्टुः
नियम- यदि स् त् थ् द् ध् न्  का योग ष् ट् ठ् ड् ढ् ण् से हो तो निम्न परिवर्तन हो जाता है-
                      स्  को  ष्
                      त्  को  ट्
                      थ्  को  ठ्
                      द्  को  ड्
                      ध्  को  ढ्
                      न्  को  ण्
उदाहरण-
तत् + टीका   = तट्टीका
रामस् + षष्ठः = रामष्षष्ठः
उद् + डयनम् = उड्डयनम्


Saturday, April 27, 2019

वर्णों के उच्चारण स्थान

वर्णों के उच्चारण स्थान-
महर्षि पाणिनि के अनुसार वर्णों के उच्चारण स्थान निम्नलिखित है-
1-अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः    अर्थात्
 अ क ख ग घ ङ ह विसर्ग का उच्चारण स्थान कण्ठ
2-इचुयशानां तालु       अर्थात्
   इ च छ ज झ ञ य श   का उच्चारण स्थान तालु है।
3-ऋटुरषाणां मूर्धा              अर्थात्
   ऋ ट ठ ड ढ ण र ष    का उच्चारण स्थान मूर्धा है।
4-लृतुलसानां दन्ताः        अर्थात्
   लृ त थ द ध न ल स  का उच्चारण स्थान दन्त्य है।
5-उपूपध्यमानीयानां ओष्ठौ           अर्थात्
    उ प फ ब भ म    का उच्चारण स्थान ओष्ठ है।
6-एदैतोः कण्ठतालु          अर्थात्
    ए ऐ      का उच्चारण स्थान   कण्ठ+तालु है।
7-ओदौतोः कण्ठोष्ठम्            अर्थात्
    ओ औ     का उच्चारण स्थान कण्ठ+ओष्ठ है।
8-वकारस्य दन्त्योष्ठम्           अर्थात्
      व    का उच्चारण स्थान   दन्त्य+ओष्ठ   है।
9-ञमङणनानां नासिका  च      अर्थात्
    ञ म ङ ण न  का उच्चारण स्थान नासिका भी है।
10-नासिका अनुस्वारस्य          अर्थात्
     अनुस्वार (ंं) का उच्चारण स्थान नासिका है।

Friday, April 26, 2019

हिन्दी व्याकरण- पूर्वरूप-पररूप सन्धि

पूर्वरूप सन्धि- सूत्र- एङः पदान्तादति
नियम- यदि पद के अन्त में स्थित ए ओ के बाद हृस्व अ आये तो दोनों के स्थान पर पूर्वरूप आदेश(ए ओ) हो जाता है। हृस्व अ की पूर्व उपस्थिति के लिए अवग्रह "s" का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण-
हरे + अव  - हरेsव
विष्णो + अव  - विष्णोsव
एते + अपि  - एतेsपि


पररूप सन्धि- एङि पररूपम्
नियम-यदि अवर्णान्त उपसर्ग के बाद ए ओ से प्रारम्भ होने वाली धातु आये तो दोनों के स्थान पर पररूप आदेश(ए ओ) हो जाता है। उदाहरण-
प्र + एजते  - प्रेजते
उप + ओषति - उपोषति

Thursday, April 25, 2019

हिन्दी व्याकरण-अयादि सन्धि

अयादि सन्धि- सूत्र- एचोsयवायावः
सूत्र में एच् का अर्थ है- ए ओ ऐ औ और अयवायाव का अर्थ है अय् अव् आय् आव् ।
यदि ए ओ ऐ औ के बाद कोई स्वर आये तो ए को अय् , ओ को अव् , ऐ को आय् , औ को आव् हो जाता है।
उदाहरण-
ने+ अनम् - नयनम्
पो+ अनः  - पवनः
नै+ अकः - नायकः
पौ+ अकः - पावकः
पो+ इत्र - पवित्र
नौ+ इकः - नाविकः 

Wednesday, April 24, 2019

हिन्दी व्याकरण- वृद्धि स्वर सन्धि

वृद्धि स्वर सन्धि- सूत्र- वृद्धिरेचि
  यदि अ आ के बाद एच् (ए ओ ऐ औ) आये तो वृद्धि सन्धि होती है।
  यदि अ आ के ए ऐ आये तो दोनों के स्थान पर ऐ हो जाता है और यदि अ आ के बाद ओ औ आये तो दोनों के स्थान पर औ हो जाता है। उदाहरण
कृष्ण + एकत्वम् - कृष्णैकत्वम्
गङ्गा + ओघः - गङ्गौघः
देव + ऐश्वर्यम्  - देवैश्वर्यम्
वन+ औषधि - वनौषधि
तथा + एव - तथैव
यदा + एव - यदैव

Tuesday, April 23, 2019

हिन्दी व्याकरण-गुण स्वर सन्धि

गुण स्वर सन्धि- सूत्र-आद् गुणः
       यदि अ आ के बाद इ उ ऋ लृ अक्षर आयें या अ आ के बाद इ ई आये तो दोनों के स्थान पर ए,और यदि अ आ के बाद उ ऊ आये तो दोनों के स्थान पर ओ , तथा अ आ के बाद ऋ आये तो दोनों के स्थान पर अर् , और अ आ के लृ आये तो दोनों के स्थान पर अल् हो जाता है।  उदाहरण
अ + इ = ए       देव+इन्द्र - देवेन्द्र
आ+ इ = ए       महा+इन्द्र - महेन्द्र
अ + ई = ए       सुर+ईश - सुरेश
आ+ ई = ए       रमा+ईश - रमेश
अ + उ = ओ     पर+उपकार - परोपकार
आ+ उ = ओ     यथा+उक्ति - यथोक्ति
अ + ऋ= अर्     देव+ऋषि - देवर्षि
आ+ ऋ= अर्     महा+ऋषि - महर्षि
अ + लृ = अल्   तव+लृकार - तवल्कार

  

हिन्दी व्याकरण-यण् स्वर सन्धि

यण् स्वर सन्धि-(इको यणचि)
             सूत्र में इक् प्रत्याहार का अर्थ है इ उ ऋ लृ , तथा यण् का अर्थ है य् व् र् ल् । अच् का अर्थ है स्वर (असमान)। अर्थात्
  यदि इ उ ऋ लृ के बाद को असमान स्वर (अच्) आये तो इ के स्थान पर य् , उ के स्थान पर व् , ऋ के स्थान पर र् , लृ के स्थान पर ल् हो जाता है। उदाहरण
प्रति+एक - प्रत्येक
सुधी+उपास्य - सुध्युपास्य
मधु+अरि - मध्वरि
वधू+आदेश - वध्वादेश
धातृ+अंश - धात्रंश
पितृ+आज्ञा - पित्राज्ञा
लृ+आकृति - लाकृति 

Sunday, April 21, 2019

हिंदी वर्ण ज्ञान

वर्ण या अक्षर- वर्ण या अक्षर वह छोटी से छोटी ध्वनि है जिसका विभाग या टुकड़े नहीं किए जा सकते।
वर्ण दो प्रकार के होते हैं-1-स्वर 2-व्यंजन

स्वर-मुख द्वारा स्वतंत्र रूप से उच्चरित होने वाले वर्णों को स्वर कहते हैं। स्वर तीन प्रकार के होते हैं-
1-हृस्व स्वर
2-दीर्घ स्वर
3-प्लुत स्वर
1-हृस्व- जिन स्वरों के उच्चारण में एक मात्रा के काल का समय लगता है उन्हें हृस्व स्वर कहते हैं। जैसे- अ,इ,उ,ऋ
2-दीर्घ- जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्रा के काल का समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। जैसे- आ,ई,ऊ
3-प्लुत- जिन स्वरों के उच्चारण में तीन मात्रा के काल का समय लगता है उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। जैसे- आ3, ई3, ऊ3
एकमात्रो भवेद् हृस्वो द्विमात्रस्तु दीर्घ उच्यते।
त्रिमास्तु प्लुतो ज्ञेयः व्यञ्जनं च अर्धमात्रकम्।
मुर्गे की ध्वनि "कुकु ड़ू कूं3"  में तीनों प्रकार के स्वरों का बोध होता है। कुकु-हृस्व, ड़ू-दीर्घ, कूं3- प्लुत।

व्यञ्जन- जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्रता पूर्वक नहीं हो सकता या जिनके उच्चारण में स्वरों की सहायता लेनी पड़ती है उन्हें व्यंजन वर्ण कहते हैं।
व्यंजन निम्न प्रकार के होते हैं-
1-स्पर्श व्यंजन- जिन व्यंजनों के उच्चारण में जिह्वा मुख के विभिन्न स्थानों का स्पर्श करती है या स्पर्श करने का प्रयत्न करती है उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं।
हिन्दी वर्णमाला में क से लेकर म तक 25  वर्ण स्पर्श व्यंजन हैं।
कवर्ग- क ख ग घ ङ              कण्ठ उच्चारण स्थान
चवर्ग- च छ ज झ ञ              तालु
टवर्ग-  ट ठ ड ढ ण                मूर्धा
तवर्ग- त थ द ध न                 दन्त्य
पवर्ग- प फ ब भ म                ओष्ठ

2-अन्तःस्थ व्यंजन- हिन्दी वर्णमाला में 4 अन्तःस्थ व्यंजन हैं- य- तालु
              र- मूर्धा
              ल- दन्त्य
              व- दन्त्योष्ठ
3-ऊष्म व्यंजन- जिन व्यंजनों के उच्चारण में प्राणवायु निकलती है उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते है । हिन्दी वर्णमाला में इनकी संख्या 4 है-
             श - तालु
              ष - मूर्धा
              ह - कण्ठ
4-संयुक्त व्यंजन- दो अक्षरों के मेल से बने व्यंजनों को संयुक्त व्यंजन कहा जाता है। हिन्दी वर्णमाला में इनकी संख्या 3 है-
       क्+ष - क्ष
       त्+र -  त्र
       ज्+ञ - ज्ञ
इसके अतिरिक्त श्+र = श्र को भी ले सकते हैं।
5-उत्क्षिप्त व्यंजन-इनकी संख्या 2 है- ड़ , ढ़ ।

माहेश्वर सूत्र-
1-अ इ उ ण्            2-ऋ लृ क्       3-ए ओ ङ्    4-ऐ औ च्              5-ह य व र ट्       6-ल ण्      7-ञ म ङ ण न म्    8-झ भ ञ्        9-घ ढ ध ष्  10-ज ब ग ड द श्   11-ख फ छ ठ थ च त ट व्  12-क प य्             13-श स ष र्      14- ह ल्

14 माहेश्वर सूत्रों से प्रत्याहार बनाये जाते हैं।प्रत्येक सूत्र मे अन्तिम अक्षर इत्संज्ञक है इसे प्रत्याहार बनाने में नहीं लिया जाता है।

दीर्घ स्वर सन्धि

सन्धि- दो वर्णों या अक्षरों के मेल को सन्धि कहते हैं। सन्धि को वर्णविधि कहा जाता है। सन्धि तीन प्रकार की होती है-
1-स्वर(अच्) सन्धि
2-व्यञ्जन(हल्) सन्धि
3-विसर्ग सन्धि
स्वर सन्धि-दो स्वरों के मेल को स्वर सन्धि कहते हैं।  यह सन्धि निम्न प्रकार की होती है-
1-दीर्घ स्वर सन्धि-(सूत्र-अकः सवर्णे दीर्घः)-
नियम-यदि अ आ इ ई उ ऊ ऋ लृ के बाद सवर्ण आये अर्थात् अ आ के बाद अ आ, इ ई के बाद इ ई, उ ऊ के बाद उ ऊ, ऋ के बाद ऋ, तथा लृ के बाद लृ आये तो दोनों के स्थान पर दीर्घ स्वर हो जाता है।
उदाहरण-
अ+अ=आ           धन+अर्थी=धनार्थी
आ+अ=आ          विद्या+अर्थी=विद्यार्थी
अ+आ=आ          पुस्तक+आलय=पुस्तकालय
आ+आ=आ         विद्या+आलय=विद्यालय
इ+इ=ई               कपि+इन्द्र=कपीन्द्र
इ+ई=ई               हरि+ईश=हरीश
ई+ई=ई               नदी+ईश=नदीश
उ+उ=ऊ             सु+उक्ति=सूक्ति
उ+ऊ=ऊ            लघु+ऊर्मि=लघूर्मि
ऊ+उ=ऊ            वधू+उत्सव=वधूत्सव
   इत्यादि

Friday, April 19, 2019

Admission-2019-20

 समस्त छात्र-छात्राओं को सूचित किया जाता है कि पं.दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इण्टर कालेज बहुआ फतेहपुर में कक्षा-6,7,9,11 में प्रवेश प्रारम्भ हैं। सभी कक्षाओं में एक सेक्शन मे मानक के अनुरूप 40 एडमिशन किए जायेंगे। जो छात्र इच्छुक हैं वे तत्काल प्रवेश ले लें अन्यथा किसी भी प्रकार का दबाव स्वीकार नहीं किया जायेगा। सत्र 2019-20 मे बिना प्रवेश परीक्षा के सीधे तौर पर प्रवेश दिए जायेंगे। विद्यालय एक शान्त वातावरण में संचालित है साथ ही एक विशाल खेल का मैदान उपलब्ध है।

दिनांक 22-04-2019 को ईस्टर मन्डे के उपलक्ष्य मे विद्यालय बन्द रहेगा। दिनांक 23-04-2019 को विद्यालय अपने पूर्व निर्धारित समय पर खुलेगा।

प्रवेश पत्र

प्रवेश पत्र वितरण-2020